आज के इस दौर को शब्दों पर चरितार्थ करने की एक छोटी सी कोशिश की है। आज के इस दौर को शब्दों पर चरितार्थ करने की एक छोटी सी कोशिश की है।
ये आज की कौम है प्यारे... रोटी और छत के लिए इसकी मशक्कत हर वक्त जारी है। ये आज की कौम है प्यारे... रोटी और छत के लिए इसकी मशक्कत हर वक्त जारी है।
महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है ! महामारी जो आज है पूरी दुनिया में फैली... उसे हम सबको मिलकर है हराना है !
मेरे आँगन में बिख़री ख़ामोशी को समेट दे आकेतेरे बाद, मेरे घर में तन्हाई का वास हो गया है मेरे आँगन में बिख़री ख़ामोशी को समेट दे आकेतेरे बाद, मेरे घर में तन्हाई का वास हो ...
एक ग़ज़ल...। एक ग़ज़ल...।
खूबसूरती...। खूबसूरती...।